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बंधक के अवशेष मिलने के बाद इजराइल ने 15 फलस्तीनियों के शव लौटाए
by प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क on November 8, 2025 at 12:38 pm
गाजा के अस्पताल अधिकारियों ने बताया कि उन्हें युद्ध विराम समझौते के तहत इजराइल की ओर से सौंपे गए 15 फलस्तीनियों के शव मिल गए हैं। एक दिन पहले हमास ने बंधक बनाए गए एक व्यक्ति का शव इजराइल को लौटा दिया था। युद्ध विराम समझौते के तहत, इजराइल ने प्रत्येक इजराइली बंधक के बदले 15 फलस्तीनियों के शव सौंपे हैं। अधिकारियों ने बताया कि शव शनिवार को खान यूनिस स्थित नासिर अस्पताल लाए गए। हमास द्वारा एक और व्यक्ति का शव सौंपा जाना अमेरिका की मध्यस्थता से हुए युद्धविराम समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में एक और कदम है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, बंधक के शव की पहचान लियोर रुडेफ के रूप में हुई है। ‘होस्टेजेस एंड मिसिंग फैमिलीज फोरम’ ने बताया कि रुडेफ का जन्म अर्जेंटीना में हुआ था और वह बचपन में दक्षिणी इजराइल आ गया था। फोरम ने बताया कि हमास के हमले में रुडेफ की मौत हो गई थी जिसके बाद उसका शव गाजा ले जाया गया था। युद्धविराम समझौता 10 अक्टूबर को लागू होने के बाद से फलस्तीनी चरमपंथियों ने रुडेफ के शव सहित 23 बंधकों के शव सौंप दिए हैं और पांच बंधक अब भी गाजा में हैं। शनिवार को लौटाए गए शवों को मिलाकर, इजराइल ने 300 फ़लस्तीनियों के शव सौंप दिए हैं। गाज़ा में स्वास्थ्य अधिकारियों को डीएनए किट उपलब्ध न होने के कारण शवों की पहचान करने में काफ़ी दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने अब तक 84 शवों की पहचान कर ली है। युद्धविराम की शर्तों के तहत, इजराइल को गाज़ा में काफ़ी ज़्यादा राहत सामग्री पहुंचाने की अनुमति देनी होगी। संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ के अनुसार, इस समझौते के तहत राहत कार्य अभी भी गाज़ा में ज़रूरत से काफी कम हैं। उन्होंने बताया कि गाजा में 2,00,000 मीट्रिक टन से ज़्यादा राहत सामग्री पहुंचाने की योजना है, लेकिन अभी तक केवल 37,000 टन ही पहुंचाई जा सकी है।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में ग्रेनेड विस्फोट में तीन लोगों की मौत, एक घायल
by प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क on November 8, 2025 at 11:26 am
पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए ग्रेनेड विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई तथा एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने शनिवार को बताया कि यह घटना शुक्रवार को खैबर जिले की बारा तहसील में एक स्थानीय व्यक्ति के घर में हुई जिसमें संबंधित व्यक्ति के साथ दो अन्य लोगों की मौत हो गई।पुलिस अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट में घायल हुए व्यक्ति को डोगरा अस्पताल ले जाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इलाके की घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी गई है।
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240000000000 एक दिन की तनख्वाह! कई देशों की GDP से भी अधिक का सैलरी पैकेज लेंगे एलन मस्क
by प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क on November 8, 2025 at 10:47 am
इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला के शेयरधारकों ने सीईओ एलन मस्क के करीब 88 लाख करोड़ (1 ट्रिलियन ट्रिलियन डॉलर) के सालाना वेतन पैकेज को मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद मस्क दुनिया के पहले ट्रिलियनेयर बन सकते हैं। मस्क के पैकेज के लिए कुछ शर्तें भी हैं। जैसे उन्हें 10 साल में कंपनी के बाजार मूल्य को 1.4 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ा 8.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचना होगा। इस कदम पर टेस्ला बोर्ड की चेयरपर्सन रोबिन डेनहोल्म ने कहा, योजना टेस्ला कंपनी को रिचार्ज कर बड़ी ग्रोथ हासिल करने में मदद करेगी।इसे भी पढ़ें: अब्राहम समझौता क्या है? सऊद अरब के साथ अब कजाकिस्तान भी जिस पर करेगा साइन, ट्रंप मुस्लिम देशों को इजरायल का पक्का दोस्त बनाने में लगेमस्क की रोबोट आर्मी आम लोगों का जॉब छीन लेगीन्यूयॉर्क पेंशन फंड ने कहा, ये वेतन परफॉर्मेंस नहीं, बिना रोक-टोक ताकत के लिए है। मस्क रोबोट आर्मी से आम लोगों के जॉब्स छीन लेंगे। जबकि मस्क ने कहा, गरीबी को दूर करने का समाधान ह्यूमनॉइड रोबोट ही हैं।इसे भी पढ़ें: अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की नीतियों की हार और वाम विचारधारा के उभार ने बड़े राजनीतिक संकेत दिये हैंटारगेट हासिल करने पर मिलेगी हिस्सेदारीशेयरहोल्डर मीटिंग में पास किया गया यह वेतन पैकेज मस्क के लिए नए शेयर पाने का रास्ता तो खोलेगा, मगर इसके लिए उन्हें अगले दशक में कई जबरदस्त फाइनैंशल और ऑपरेशनल टारगेट्स हासिल करने होंगे। इन टारगेट्स को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने पर मस्क को नई हिस्सेदारी मिलती जाएगी और वे धीरे-धीरे ट्रिलियन डॉलर की ओर बढ़ सकते हैं, जिससे वे अमेरिका के पूर्व सबसे अमीर रॉकफेलर को भी पछाड़ सकते है। रॉकफेलर की संपत्ति वर्तमान मानको के हिसाब से 630 बिलियन डॉलर आकी जाती है। वर्तमान में मस्क की निजी संपत्ति फोर्ब्स के अनुसार 493 बिलियन डॉलर है।ये हैं 5 शर्तें जिन्हें पूरा करना होगाटेस्ला की मार्केट वैल्यू 1.5 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ाकर 8.5 ट्रिलियन करना10 लाख रोबॉटैक्सी तैनात करना1.2 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन बेचने का टारगेट होगा1 करोड़ यूजर्स को फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD) सर्विस देना10 लाख ह्यूमनॉइड रोबॉट की बिक्री करना
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मोदी-नेतन्याहू के दुश्मन का बड़ा ऐलान, मुस्लिमों में जश्न
by प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क on November 8, 2025 at 9:22 am
भारतीय मूल का मुस्लिम अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क का मेयर चुनाव जीत गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर जोहरान ममदानी चुनाव जीतता है, तो वह न्यूयॉर्क में फंड की कटौती कर देंगे। लेकिन अब जोहरान ममदानी जीत चुका है। अब देखना होगा कि डॉनल्ड ट्रंप किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। आपको बता दें कि चुनाव से कुछ दिन पहले ही जोहरान ममदानी ने वामपंथियों और कट्टरपंथियों का वोट बटोरने के लिए पीएम मोदी और भारत का अपमान किया था। जोहरान ममदानी ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए कहा था कि मैं भी मुस्लिम हूं लेकिन भारत में मेरी कम्युनिटी के लोगों पर अत्याचार होता है। इतना बोलते ही जोहरान ममदानी को कट्टरपंथियों और वामपंथियों के खूब वोट मिले होंगे। वैसे आपको बता दें कि ममदानी के पिता महमूद ममदानी गुजराती मूल के मुस्लिम हैं और उनकी मां लिबरल हिंदू मीरा नायर हैं।इसे भी पढ़ें: अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की नीतियों की हार और वाम विचारधारा के उभार ने बड़े राजनीतिक संकेत दिये हैं ममदानी की जीत पर भारत का पक्का दोस्त इजरायल भी भड़का हुआ है। न्यूयॉर्क वैसे भी कोई साधारण शहर नहीं है, फिर भी ज़ोहरान ममदानी की जीत न्यूयॉर्क के मानकों के हिसाब से भी असाधारण है। महज 34 साल के भारतीय/दक्षिण एशियाई/युगांडाई मूल के मुस्लिम व्यक्ति ममदानी और उनके विचारों को दुनिया भर में प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। इन विचारों में से एक है उनका फ़िलिस्तीन समर्थक और ज़ायोनिज़्म विरोधी रुख़, यही वजह है कि उनकी जीत ने इज़राइल और उसके यहूदी नागरिकों के एक बड़े हिस्से में भी हलचल मचा दी है। यरुशलम निवासी हाना जैगर ने ममदानी की उस शहर में सफलता के बाद समाचार एजेंसी एपी को बताया बहुत बुरा। यहूदियों के लिए, इज़राइल के लिए, सबके लिए, यह बहुत बुरा है। आप और क्या कह सकते हैं? इज़राइल के तेल अवीव के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी यहूदी आबादी है।इसे भी पढ़ें: Zohran Mamdani की वजह से देश छोड़ देंगे 13 लाख नागरिक? मेयर बनते ही भड़क उठा इजरायल अमेरिका की मुख्यधारा की राजनीति लंबे समय से कट्टर रूप से इज़राइल समर्थक रही है, तब भी जब संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक दृष्टिकोण तेल अवीव की नीतियों और युद्धों की आलोचना करते रहे हैं। ममदानी का चुनाव अब तक के रुख़ में आए बदलाव का सबसे मज़बूत उदाहरण माना जा रहा है। एक तरह से, यह अमेरिकी जनता, ख़ासकर युवा डेमोक्रेटिक मतदाताओं के बीच इज़राइल के प्रति समर्थन में आई नरमी को दर्शाता है, जबकि रिपब्लिकन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ममदानी के ख़िलाफ़ लगातार बयानबाज़ी कर रहे हैं।
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मोटे हैं, या मधुमेह है, या हृदय रोग है, या फिर कैंसर है तो नहीं मिलेगा अमेरिकी वीजा, Trump ले आये नई Visa Policy
by प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क on November 8, 2025 at 9:02 am
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने आव्रजन नीतियों में एक बार फिर विवादास्पद रुख अपनाते हुए विश्वभर में स्थित अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को यह निर्देश दिया है कि वह ऐसे विदेशी नागरिकों को वीज़ा देने से मना करें जिनकी कुछ गंभीर या दीर्घकालिक चिकित्सीय स्थितियाँ हैं। यह निर्णय अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में “स्वास्थ्य” को एक निर्णायक तत्व के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया एक नया कदम है, जिसने मानवाधिकारों, समानता और वैश्विक गतिशीलता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।देखा जाये तो ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी इस नई वीज़ा नीति के तहत, जिन विदेशी नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश या स्थायी निवास की अनुमति चाहिए, उनके स्वास्थ्य की स्थिति अब उनके आवेदन के परिणाम को सीधे प्रभावित करेगी। KFF Health News की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने यह निर्देश दिया है कि ऐसे लोगों को “वीज़ा के लिए अयोग्य” माना जाए जिनकी बीमारियाँ सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ बन सकती हैं।इसे भी पढ़ें: G20 समिट पर ट्रंप के इस बयान से दुनिया में हड़कंप! जेडी वेंस ने भी उठाया बड़ा कदमनीति में जिन बीमारियों का उल्लेख किया गया है, उनमें हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, कैंसर, मधुमेह, मेटाबॉलिक बीमारियाँ, तंत्रिका संबंधी रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ और यहाँ तक कि मोटापा तक शामिल हैं। निर्देश में कहा गया है कि ऐसे रोगों के इलाज पर “लाखों डॉलर तक खर्च” हो सकते हैं, इसलिए इन्हें “संभावित सार्वजनिक भार” की श्रेणी में रखा जाए। यह भी कहा गया है कि वीज़ा अधिकारी आवेदक की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करें कि क्या वह बिना अमेरिकी सरकार की किसी सहायता के अपने उपचार का पूरा खर्च उठा सकता है। साथ ही, परिवार के सदस्यों— विशेषकर बच्चों या बुजुर्ग माता-पिता की स्वास्थ्य स्थिति को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी आवेदक की आर्थिक स्थिति और रोजगार क्षमता को प्रभावित कर सकती है।देखा जाये तो यह नया दिशा-निर्देश ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के अनुरूप है, जिसमें आव्रजन को न केवल सीमित करने बल्कि सामाजिक कल्याण योजनाओं पर विदेशी नागरिकों की निर्भरता को रोकने की मंशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। प्रशासन का तर्क है कि अमेरिकी करदाताओं के धन से केवल अमेरिकी नागरिकों को ही लाभ मिलना चाहिए और विदेशी आवेदकों को प्रवेश से पहले यह साबित करना होगा कि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं।हालांकि, यह तर्क “सामाजिक जिम्मेदारी” और “मानवीय सहानुभूति” की वैश्विक अवधारणा के विपरीत है। स्वास्थ्य स्थिति जैसी अनियंत्रित या प्राकृतिक परिस्थिति को किसी व्यक्ति के वीज़ा निर्धारण का आधार बनाना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र के Universal Declaration of Human Rights में निहित “समान अवसर” के सिद्धांत को भी चुनौती देता है।देखा जाये तो स्वास्थ्य आधारित वीज़ा मूल्यांकन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, किंतु अब यह मात्र एक चिकित्सीय जाँच से आगे बढ़कर “सामाजिक और आर्थिक दंड” का रूप ले रही है। यह नीति न केवल शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को बाहर करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से “सामाजिक बोझ” के रूप में चित्रित करती है। इस प्रकार का वर्गीकरण समाज में उस खतरनाक सोच को वैधता प्रदान करता है, जिसमें “स्वस्थ और उत्पादक” व्यक्ति ही मूल्यवान माने जाते हैं, जबकि कमजोर या बीमार व्यक्ति “अवांछनीय” ठहराए जाते हैं। यह आधुनिक सभ्यता के समानता और मानव गरिमा के आदर्शों के प्रतिकूल है।साथ ही यह कदम उस व्यापक नीति-श्रृंखला का हिस्सा है जिसमें ट्रंप प्रशासन ने शरणार्थी आवेदनों को घटाया, अस्थायी वीज़ा की अवधि सीमित की और कई देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए। हम आपको याद दिला दें कि अगस्त 2025 में घोषित प्रस्ताव के तहत विदेशी छात्रों और मीडिया प्रतिनिधियों के वीज़ा की अवधि अधिकतम चार वर्ष तक सीमित कर दी गई थी और सितंबर में जारी एक अधिसूचना के अनुसार H-1B वीज़ा आवेदकों पर अतिरिक्त 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाया गया था।इन सबके बीच यह स्वास्थ्य-आधारित नीति अमेरिका की आव्रजन प्रणाली को एक प्रकार से “आर्थिक योग्यता आधारित चयन प्रणाली” में बदल देती है, जिसमें केवल युवा, स्वस्थ और संपन्न व्यक्तियों को ही “स्वागत योग्य” माना जा सकता है।देखा जाये तो यह नीति न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह अमेरिका की नैतिक दिशा का भी दर्पण है। जिस राष्ट्र ने शताब्दियों तक स्वयं को “अवसरों की भूमि” के रूप में प्रस्तुत किया, वही अब धीरे-धीरे “सुविधाओं की भूमि” तक सीमित होता जा रहा है। यदि स्वास्थ्य और उम्र को वीज़ा अयोग्यता का आधार बनाया जाएगा, तो यह न केवल भेदभावपूर्ण होगा बल्कि यह वैश्विक स्तर पर अन्य देशों को भी इसी प्रकार की विभेदक नीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।बहरहाल, ट्रंप प्रशासन की यह स्वास्थ्य-आधारित वीज़ा नीति आर्थिक आत्मनिर्भरता के तर्क से शुरू होकर मानवाधिकारों की उपेक्षा तक पहुँचती है। यह नीति एक ऐसे अमेरिका की झलक देती है जो अपनी सीमाओं को केवल भूगोल के आधार पर नहीं, बल्कि शारीरिक और आर्थिक क्षमताओं के आधार पर परिभाषित करना चाहता है। इसलिए यह निर्णय केवल आव्रजन नियंत्रण का नहीं, बल्कि उस मानवीय मूल्यों की परीक्षा का प्रश्न है जिन पर आधुनिक लोकतंत्र खड़ा है। अमेरिका के लिए यह आवश्यक है कि वह सुरक्षा और आर्थिक संतुलन की खोज में अपनी मानवीय पहचान को न खो दे क्योंकि सभ्यता की सबसे बड़ी शक्ति उसकी संवेदना होती है, न कि उसकी सीमाएँ।
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Did Zohran Mamdani do a ‘Nazi salute’? Social media compares his wave to Elon Musk, calls out ‘double standards’
by TOI World Desk on November 8, 2025 at 12:12 pm
Newly elected NYC Mayor Zohran Mamdani sparked an online debate after a video of his victory speech went viral. Critics claimed his arm-waving gesture resembled a Nazi salute, drawing comparisons to a similar controversy involving Elon Musk. The incident reignited discussions about public behavior, symbolism, and political intent.
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UAE: Fujairah tightens hiking rules with mandatory certified guides and expanded penalties
by TOI World Desk on November 8, 2025 at 12:06 pm
Fujairah is professionalizing its adventure tourism sector with a new policy requiring certified mountain guides for all treks. This initiative aims to enhance safety, protect lives, and create an organized environment for visitors. A digital platform will support route registration, best practices, and accredited training, empowering local guides and ensuring robust insurance for operators.
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Sudan: One-sided truce prompts calls for humanitarian aid
on November 8, 2025 at 11:01 am
Sudan’s Rapid Support Forces have agreed to a three-month humanitarian truce. This move follows ongoing violence and a severe humanitarian crisis. The truce, proposed by the Quad countries, aims to pave the way for a ceasefire and political process. However, concerns persist regarding the RSF’s commitment and past actions.
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Denmark to ban social media for children under 15
on November 8, 2025 at 10:56 am
Denmark is implementing a minimum age of 15 for certain social media platforms to protect youth mental health, following Prime Minister Mette Frederiksen’s call for restrictions. The country is allocating significant funds to enhance online child protection and strengthen EU’s Digital Services Act supervision.
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Shein avoids ban in France — government
on November 8, 2025 at 10:50 am
France will not ban online retailer Shein during an investigation into illegal items, as the company has removed all such products from its platform. While legal proceedings continue and the firm remains under close observation, authorities found no child pornography, stabbing weapons, or certain medicines being sold.

